बाल विवाह रोकने की मुहिम चलाई गई,IDF संस्था मुजफ्फरपुर के द्वारा कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाऊंडेशन-यूएस का सहयोग।



 बाल विवाह समाज के लिए एक गंभीर समस्या है। इसे जड़ से समाप्त करना अर्थात् इसे खत्म करना हमारी प्राथमिकताओं में शामिल होना चाहिए। कम उम्र के बच्चों की शादी करने के कारण वे न तो मानसिक विकास को बढ़ा पाते हैं ना ही उनका शैक्षणिक गतिविधि बेहतर हो पाता है। बाल विवाह कानून में भी अपराध है। असमाजिक गतिविधि, अशिक्षा, कुप्रथा, जागरूकता की कमी के कारण आज भी बाल विवाह हो रहे हैं। इसको हरसंभव रोकने की जरूरत है ताकि हम एक स्वस्थ, शिक्षित व जागरूक समाज का निर्माण कर सकें।

आइडीएफ संस्था मुजफ्फरपुर जिले के पांच प्रखंड के 150 गाँवों में निरंतर शिक्षण संस्थानों, पंचायत प्रतिनिधियों, आम सभाओं, ग्राम सभाओं, पारिवारिक व व्यक्तिगत स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए तत्परता दिखा रही है व उनको शपथ दिलवाकर बाल विवाह को हरसंभव रोकने के लिए प्रयासरत है। बाल विवाह हो सकने वाली परिवारों को चिन्हित कर उस परिवार पर निरंतर निगरानी रखी जा रही है।
बाल विवाह सदियों से भारत के लिए एक गंभीर सामाजिक समस्या बनी हुई है। गुलाम भारत में कई समाज सुधारकों ने इसके नुकसान को पहचानते हुए लोगों को जागरुक करने की कोशिश की। अंग्रेज़ों ने 1928 में शारदा एक्ट बनाया, ताकि कम उम्र में विवाह पर रोक लगाई जा सके। आज़ादी के बाद भी बाल विवाह रोकने के लिए सरकारें प्रयत्नशील रहीं हैं। देश के कई हिस्सों में अब भी नाबालिगों की शादी का रिवाज जारी है, जिसे रोकने की हरसंभव कोशिश होनी चाहिए। किसी सामाजिक बुराई से निपटना हो, तो सख़्ती अपनानी ही पड़ती है, साथ ही ये ध्यान रखना होता है कि इसमें निर्दोषों पर किसी तरह की मुसीबत न आए।
बाल विवाह कानून व्यवस्था की समस्या नहीं है, जिसे पुलिस के जोर से सुधारा जा सके। यह गंभीर समस्या कई सामाजिक विसंगतियों का परिणाम है। शिक्षा, रोजगार, सामाजिक जागरुकता के प्रयास से इन विसंगतियों को सुधारने की कोशिश की जा सकती है। यह एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें धैर्य के साथ-साथ समाज का विश्वास जीतना जरूरी है। लोगों को जब ये यकीन होगा कि उनकी लड़कियों को पढ़ाई के साथ-साथ समाज में सुरक्षा का माहौल मिलेगा, उन्हें रोज़गार मिलेगा, तब वे खुद ही अपने बच्चों खासकर लड़कियों की शादी की जल्दी नहीं करेंगे।देश के कई हिस्सों में इसी तरह बाल विवाह कम हुआ है, या ख़त्म हुआ है। जिन राज्यों में यह कुप्रथा अब भी जारी है, वहाँ खुद लड़कियाँ और बहुत-सी समाजसेवी संस्थाएँ इसके खिलाफ आवाज़ उठा रही हैं, जिसके सार्थक नतीजे देखने को मिले हैं।
इसी कड़ी में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (आइडीएफ) शकील अनवर, मिथिलेश कुमार ने अपने टीम के सहयोग से 150 गाँवों को मार्च 2024 तक बाल विवाह मुक्त करने के लिए अपने टीम कम्युनिटी सोशल वर्कर को हमेशा निर्देश दे रहे हैं व क्षेत्र में जाकर लोगों को सहयोग करने के लिए जागरूक कर रहे हैं। मीनापुर की टीम विनय भूषण बाल विवाह न हो इसके लिए 


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